श्याम थारो मुखडो चांद को टुकड़ों और महे पावां री धूल। बाबा थारी ले लूं मैं बलैया म्हाने मत जाजों भूल।म्हाने मत जाजों भूल थे म्हाने मत जाजों भूल।श्याम थारो मुखडो चांद को टुकड़ों और महे पावां री धूल।
चांद जैसो मुखड़ो थारो, चांदण्यां सो नूर सा। सूरज चंदा तारे आगे लागे फिका फिका सा।बाबा थाने निजरा भर भर देखूं म्हाने देखन दो हुजूर।श्याम थारो मुखडो चांद को टुकड़ों और महे पावां री धूल।बाबा थारी ले लूं मैं बलैया म्हाने मत जाजों भूल।
सांवली सी सूरत थारी तीखा तीखा नैन सा। तीखा तीखा नैना माही कजलिया री कोर सा। महे थाने नित सिंगार करावा थे कर लिजो हुजूर।श्याम थारो मुखडो चांद को टुकड़ों और महे पावां री धूल।बाबा थारी ले लूं मैं बलैया म्हाने मत जाजों भूल।
म्हारे घर में कीर्तन थारो थाने खूब सजावा सा।छप्पन तरह का भोग बना के थाने महे जिमावा सा। महे थाने नित अरदास लगावा पूरी कर्जों हुजूर।श्याम थारो मुखडो चांद को टुकड़ों और महे पावां री धूल।बाबा थारी ले लूं मैं बलैया म्हाने मत जाजों भूल।
श्याम थारो मुखडो चांद को टुकड़ों और महे पावां री धूल। बाबा थारी ले लूं मैं बलैया म्हाने मत जाजों भूल।म्हाने मत जाजों भूल थे म्हाने मत जाजों भूल।श्याम थारो मुखडो चांद को टुकड़ों और महे पावां री धूल।