तर्ज, ओढ़ ले तारा री मां चुनरी
पहन ले पीलो पीलो घागरो। म्हारे सागे चाले तो दिखा दूं दिल्ली आरे आगरो ।
सांगानेर सु लायो में कपड़ों बीकानेर सु रंगायो। जैसलमेर से कांच बिड़ाया जयपुर से में निरखायो। ओढ़ ले जोधाणे री चुनरी,म्हारे सागे चाले तो दिखा दूं दिल्ली आरे आगरो ।
काई बात को डर है गोरी सांची बात बता दे।तूं है म्हारी गोरडी में हूं थारो छैलो।बनावे काई मने तूं बावलो।म्हारे सागे चाले तो दिखा दूं दिल्ली आरे आगरो ।
सुनो बलम जी कईयां चालू सास ननंद को डर लागे।सासु आगली बहु में तो कईयां चालू आगरे।पहर लूं पीलो पीलो घागरो। म्हारे सागे चाले जी, दिखा दो दिल्ली आरे आगरो।
पहन ले पीलो पीलो घागरो। म्हारे सागे चाले तो दिखा दूं दिल्ली आरे आगरो ।