तर्ज,म्हारी चंद्र गवारजा रत्ना रा खंबा
उड़ जाई रे पीपली, दिवलो बुझा दे म्हारी सौत्त रो।म्हारी चंद्र गवारजा, रत्ना रा खंबा दिखे दूर से।
म्हाने आवे अचंभो, सौतन रे महला साजन क्यूं गया।म्हारी पायल बाजे, महला चढ़ती रा बाजे बिछिया।
उड़ जाई रे पीपली, दिवलो बुझा दे म्हारी सौत्त रो।म्हारी चंद्र गवारजा, रत्ना रा खंबो दिखे दूर से।
आधी नदिया आचराज कोई बालू रेत में।आधी गोरी सेज में कोई आधी हिवडे में।म्हारी चंद्र गवारजा रत्ना रा खंबो दिखे दूर से।म्हाने आवे अचंभो सौतन रे महला साजन क्यूं गया।म्हारी पायल बाजे महला चढ़ती रा बाजे बिछिया।उड़ जाई रे पीपली दिवलो बुझा दे म्हारी सौत्त रो।
दाडम सूखे बाग में जी कोई घर सूखे कचनार।अरे गोरी सूखे सेज में कोई परदेशा री नार।म्हारी चंद्र गवारजा रत्ना रा खंबो दिखे दूर से।म्हाने आवे अचंभो सौतन रे महला साजन क्यूं गया।म्हारी पायल बाजे महला चढ़ती रा बाजे बिछिया।उड़ जाई रे पीपली दिवलो बुझा दे म्हारी सौत्त रो।