मेहंदी रची थारे हाथा में, घूल रहयो काजल आंख्या मे। थारो इसो सुहानो रूप है भावज मेरी।।
थे कहो तो भावज थारो कजरो बन जाऊं मैं। कजरो बन जाऊं थारे नैना में रम जाऊं मैं। कजरो घुल रहयो आंखयां में। सुरमो घल रहयो आंखयां में।थारो इसो सुहानो रूप है भावज मेरी।।
मेहंदी रची थारे हाथा में, घूल रहयो काजल आंख्या मे। थारो इसो सुहानो रूप है भावज मेरी।।
थे कहो तो भावज थारी लाली बन जाऊं मैं।लाली बन जाऊं थारे होठा में रम जाऊं मैं।लाल गुलाबी होठा में, लाली सज रही होठा में।थारो इसो सुहानो रूप है भावज मेरी।
मेहंदी रची थारे हाथा में, घूल रहयो काजल आंख्या मे। थारो इसो सुहानो रूप है भावज मेरी।।
थे कहो तो भावज थारी नथली बन जाऊं में।नथली बन जाऊं थारे नाका में लग जाऊं मैं।हीरा जड़ रहा नथली में,मोती जड़ रहा नथली में।थारो इसो सुहानो रूप है भावज मेरी।।
मेहंदी रची थारे हाथा में, घूल रहयो काजल आंख्या मे। थारो इसो सुहानो रूप है भावज मेरी।।
थे कहो तो भावज थारे रंग में रंग जाऊं में।रंग में रंग जाऊं थारे हिवड़े से लग जाऊं में।देवर रम रहो भाभी में,भाभी रम रही देवर में।थारो इसो सुहानो रूप है भावज मेरी।।
मेहंदी रची थारे हाथा में, घूल रहयो काजल आंख्या मे। थारो इसो सुहानो रूप है भावज मेरी।।