मैं तो पानीडा ने गई मेरे श्याम मरद चाले अड़ अड़ के।आ तो कुन सी मरद की रे नार,के झाला देवे बेधड़के।
गाल गुलाबी होठ रसीला झीणो सुरमों सार। पाणी भरवा निसरी निरख रहा मोटयार। थारी गोरी कलाई भरी हाथ के हरी हरी चूड़ी खनके।आ तो कुन सी मरद की रे नार,के झाला देवे बेधड़के।
नाजुक बदन मारी पतली कमरिया सिर पर दो घड़ भारी। बलम बिना म्हारो फागन सुनो मैं जोबन की मारी।मैं तो परदेसी की नार मिलन ने मन तरसे।मैं तो पानीडा ने गई मेरे श्याम मरद चाले अड़ अड़ के
मोटी मोटी पाखंडली सी चल रही बेधड़के। चक्कर खाकर छोरा पड़गया हूर निकल गई अडके। महे तो होगया रे दीवाना पनिहार तू बात मारी सुन डट के।आ तो कुन सी मरद की रे नार,के झाला देवे बेधड़के।
बदलो काढ़यो बैरी बालमजी भूल्या मरवन थारी। बिना नेह कुम्हला गई म्हारी जीवन की फुलबारी।म्हाने हिवडे लगल्यो मेरा श्याम कोई तो मन भटके।मैं तो पानीडा ने गई मेरे श्याम मरद चाले अड़ अड़ के
क्यूं मरवन तूं उन्मूनी बीती ताहि बिसार। परदेषा सु आयिज्ञा महे थारा लणिहार।थारो घुंघटियों तो देवा महे उतार थे चालो चलो सज धज के।आ तो कुन सी मरद की रे नार,के झाला देवे बेधड़के।
मैं तो पानीडा ने गई मेरे श्याम मरद चाले अड़ अड़ के।आ तो कुन सी मरद की रे नार,के झाला देवे बेधड़के।