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Holi geet

Giga ghadi ek soja re,गीगा घड़ी एक सोजा रे,

गीगा घड़ी एक सोजा रे,

झिर-मिर झिर-मिर मेहुड़ो बरस, भीज आंगण नार ,रंग महल स जच्चा उत्तरी, कर सोळा सिंणगार,

गीगा घड़ी एक सोजा रे,रात का सुख देवा गीगा घड़ी एक सोजा रे।

ई पसवाड़े गिगलो ई पसवाडे पीव।इन दोन्यां के बीच में म्हारो नाजुकडो सो जीव।गीगा घड़ी एक सोजा रे,रात का सुख देवा गीगा घड़ी एक सोजा रे।

काई मांगे गिगलाे रे काई मांगे पीव।कईयां रेव बीच में थारो नाजुकडो सो जीव।गीगा घड़ी एक सोजा रे,रात का सुख देवा गीगा घड़ी एक सोजा रे।

दूध मांगे गिगो और पसवाड़ो मांगे पीव।इन दोन्या के बीच में पीसगयो म्हारो जीव।गीगा घड़ी एक सोजा रे,रात का सुख देवा गीगा घड़ी एक सोजा रे।

जागे म्हारो गिग्लो और जागे म्हारो पीव।इन दोन्या रे बीच में मने कइयां आवे नींद।गीगा घड़ी एक सोजा रे,रात का सुख देवा गीगा घड़ी एक सोजा रे।

निंद्रा आगी गिगल्या ने जागे म्हारो पीव।इन दोन्या ने राजी कर देई आगी म्हाने नींद।गीगा घड़ी एक सोजा रे,रात का सुख देवा गीगा घड़ी एक सोजा रे।

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