सासु बोली बिंदनी, तू पानी भरबा जाय
दो घड़ा दूँ शीश पे,म्हारी पतली कमर लुळ जाय।
बदन म्हारो नाजुक, घड़ले में बोझ भारी
म्हे हलवा हलवा चालूं ऐ, दरद की मारी
दरद की मारी ,मैं धीमे धीमे चालूं दरद की मारी।
चुड़लो लाया पिंवजी, तो पैरयो कलाई मांय ।
खन खन बाजे चुड़लो, मन मेरो मुसकाय ।
पर कुंचो म्हारो पतलो , चुडले में बोझ भारी।
म्हे हलवा हलवा चालूं ऐ, दरद की मारी
दरद की मारी , मैं धीमे धीमे चालूं दरद की मारी।
सुसरो जी सोजत गया, तो मेहँदी दीनी ल्याय।
हाथ्यां मेहँदी राचणी, म्हारी सासु सुगन मनाय।
म्हाने मेहंदी लागे प्यारी, माने ना सासु म्हारी
फीकी पड़ जावे मेहन्दी, मैं विनती कर कर हारी
माने ना सासु म्हारी, मैं विनती कर कर हारी।