पाँच मोहर को साहिबा पिळो रंगावो जी
हाथ बतीसी गज बीसी गाढा मारू जी
पिळो रंगावो जी।
दिल्ली सहर से साईबा पोत मंगावो जी
जैपर का रंगरेज बुलावो गाढा मारू जी
पिळो रंगावो जी।
पिला तो पल्ला साईबा बन्धन बन्धाऊँ जी,
अध बीच चाँद छपाऊँ गाढा मारू जी
पिळो रंगावो जी।
रंग्यो ऐ रंगायो जच्चा होया संजोतो जी,
पण बेरे माएं पकडायो जी गाढा मारूं जी
पिळो रंगावो जी।
पिळो तो औढ़ म्हारी जच्चा पाटे पर बैठी जी,
दयोराणी जेठाणी मुखड़ो मोड्यो गाढा मारूं जी
पिळो रंगवो जी।
पिळो तो औढ़ म्हारी जच्चा सर्वर चाली जी
सारो ही सहर सरायो गाढा मारू जी,पिळो रंगावो जी।