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jachha geet

Pach mohar ko sahiba pilo rangao ji,पाँच मोहर को साहिबा पिळो रंगावो जी,jachha geet

पाँच मोहर को साहिबा पिळो रंगावो जी

पाँच मोहर को साहिबा पिळो रंगावो जी
हाथ बतीसी गज बीसी गाढा मारू जी
पिळो रंगावो जी।



दिल्ली सहर से साईबा पोत मंगावो जी
जैपर का रंगरेज बुलावो गाढा मारू जी
पिळो रंगावो जी।



पिला तो पल्ला साईबा बन्धन बन्धाऊँ जी,
अध बीच चाँद छपाऊँ गाढा मारू ज
पिळो रंगावो जी।



रंग्यो ऐ रंगायो जच्चा होया संजोतो जी,
पण बेरे माएं पकडायो जी गाढा मारूं जी
पिळो रंगावो जी।



पिळो तो औढ़ म्हारी जच्चा पाटे पर बैठी जी,
दयोराणी जेठाणी मुखड़ो मोड्यो गाढा मारूं जी
पिळो रंगवो जी।



पिळो तो औढ़ म्हारी जच्चा सर्वर चाली जी
सारो ही सहर सरायो गाढा मारू जी,पिळो रंगावो जी।

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