कदी आवो नी रसीला
जोवां थारी बाट घणी
कदी आवो नी रसीला
जोवां थारी बाट घणी।
थारी सांवलोडी सूरत रा लाम्बा केश।
जोवां थारी बाट घणी।कदी आवो नी रसीला
जोवां थारी बाट घणी
आवण जावण रो कह गया,
कर गया कौल अनेक,
आवण जावण रो कह गया,
कर गया कौल अनेक,
गिणता गिणता घसी गयी
म्हारी लाल अंगलियाँ री रेख
कदी आवो नी रसीला जोवां थारी बाट घणी।
सियाले खाटू भला,
उनहाल्ळो अजमेर,
सियाणे खाटू भला,
उनहाल्ळो अजमेर,नागाणो रो तो नित रो भलो,
म्हारों सावण बीकानेर,कदी आवो नी रसीला
जोवां थारी बाट घणी।
गान्जो गढ़पती भांग पिए भोपाल,
गान्जो गढ़पती भांग पिए भोपाल,
अमल आरोग्य छत्रपति
दारुड़ी पिए दातार,कदी आवो नी रसीला
जोवां थारी बाट घणी।