तर्ज – ओ म्हारी घूमर छे नखराली
म्हारी चुनर भीगी भीगी, जाए रे श्याम, कैसो रंग बरसायो, म्हारा साँवरिया।।
फागुण माही मस्ती छाई. ढप झांजरिया बाजे, ग्वाल बाल के संग में आकर, राधा रानी नाचे, वाकी पायल रुणझुण रुणझुण, बोले रे श्याम, कैसो रंग बरसायो, म्हारा साँवरिया।।
बरसाने की राधा रानी, नंद के कृष्ण कन्हैया, ग्वालों की टोली के संग में, खेले फाग कन्हैया, कोई दूजा ना रंग चढ़े,कैसो रंग बरसायो, म्हारा साँवरिया।।
बरसाने की राधा रानी, नंद के कृष्ण कन्हैया, ग्वालों की टोली के संग में, खेले फाग कन्हैया, कोई दूजा ना रंग चढ़े, म्हारा साँवरिया।।
तन पे रे आज,कैसो रंग बरसायो,प्रेम का रिश्ता तेरे संग में, होली खूब खिलाए, तूने ऐसा रंग चढ़ाया, दर्पण नजर ना आए, म्हारी अंखिया से कजरो, बह बह जाए रे श्याम, कैसो रंग बरसायो, म्हारा साँवरिया।।
म्हारी चुनर भीगी भीगी, जाए रे श्याम, कैसो रंग बरसायो, म्हारा साँवरिया।।