तर्ज,मिलो ना तुम तो हम घबराए
जब तुलसी वृंदावन आए, राम ना कोई गाए,
सभी राधे को मनाएं।सभी राधे को मनाएं।
डाल-डाल और पात-पात भी,राधे-राधे गाएं,सभी राधे को मनाएं।सभी राधे को मनाएं।
नमन किया मोहन कोताना तो मारा है पुजारी ने।ये ना तेरे राम हैं,मूरख कहा है तब पुजारी ने।
तुलसी मन में भेद ना आवे,
राम ही श्याम कहाए ।सभी राधे को मनाएं।सभी राधे को मनाएं।
कर जोड़ तुलसी बोले,राम तुम्हीं तो तुम ही श्याम हो।भेद जो आया मन में,राम बनो जी तुम ही राम हो।तुलसी चरणों में शीश झुकाएं,
भक्त को राम दिखाएं।सभी राधे को मनाएं।सभी राधे को मनाएं।
जाना बिहारी जी ने,छोड़ी है मुरली छोड़ी राधा जी।भगत का मान बढ़ाने,धनुष है धारा,संग में बाण भी।सीता के स॔ग खड़े हैं रघुवर,सब को दर्श कराएं।सभी राधे को मनाएं।सभी राधे को मनाएं।
किरपा करो हे रघुवर,सीता के संग बसो मन में।
जैसे राधा संग मोहन,सदा ही बसते हैं मधुबन में।राम रूप बने श्याम को देखे,आशा है हर्षाए।सभी राधे को मनाएं।सभी राधे को मनाएं।