तर्ज,खम्मा खाम्मा ओ धनिया
रात चढ़ी रे छैलो घर कोनी आयो
रात चढ़ी रे छैलो घर कोनी आयो
गौरी रो जीव थोड़ो घबरायो हो
थोड़ो घबरायो रे छैलो घर कोनी आयो
रात चढ़ी रे छैलो घर कोनी आयो।
रुक रुक कर आवे झबकी
पर नींद गौरी ने नही आवे
ठंडी रात शरद पूनम री
हिवड़ो म्हारो जल जावे
इतना में गेट कोई खड़कायो हो
कोई खड़कायो रे छैलो घर कोनी आयो
रात चढ़ी रे छैलो घर कोनी आयो।
हाँथा मेहंदी रंग सुरंगी नैणा काजल सरयो जी
रंग महल में सेज सजाई
मारवाल पलंग सवारियो जी
अब तो गौरी रो हिवड़ो भर आयो हो
कोई भर आयो रे छैलो घर कोनी आयो
रात चढ़ी रे छैलो घर कोनी आयो।
सिसक सिसक कर गौरी रोवे तकियों कालो करियो जी।
उगते सूरज रसियों आयो हाथ पीठ पर धरियो जी।
अब तो ठंडो यो खून गरमायो जी
कोई गरमायो रे छैलो घर कोनी आयो
रात चढ़ी रे छैलो घर कोनी आयो।
हाथ छटक कर गौरी बोली अब कैया थे घर आया ।
सौतन रे संग रात बिताई चोखा लाड लडाया।
जठे से आया बठे पाछा जाओ ओ
बठे पाछा जाओ रे पिया घर मत आओ
रात चढ़ी रे छैलो घर कोनी आयो।