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विविध भजन

Chail chatur rang rasiya re bhawra par ghar prit mat kije,छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा पर घर प्रीत मत कीजै,

छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,

छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पर घर प्रीत मत कीजै
पराई नार आ नैण कटारी,
रूप देख मत रीझे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीज।



घर के मंदरिया में निपट अंधेरो,
पर घर दीवला मत जोजे,
घर को गुड़ कालो ही खा लीजे |
पर चोरी की खांड मत खाजे,
पर घर प्रीत मत कीजै,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजै।



पराया खेत में बीज मत बोजे,
बीज अकारत जावे,
कुल में दाग जगत बदनामी,
बुरा करम मत कीजै
पर घर प्रीत मत कीजै,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजै ।

भाइला री नार जमाण जाई लागे,
बेहनड़ के बतलाजे,
कहत कबीर सुनो रे भाई साधु,
बैकुंठा पद पाजे
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजै ।



छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,
तू पर घर प्रीत मत कीजै,
पर घर प्रीत मत कीजै
पराई नारी रा रूप कटारी,
रूप देख मत रीझे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजै ।



छैल चतुर रंग रसिया रे भवरा,
पर घर प्रीत मत कीजै,
पर घर प्रीत मत कीजै
पराई नार आ नैण कटारी,
रूप देख मत रीझे,
रे भाई म्हारा पर घर प्रीत मत कीजै ।

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