मेरे आंगन में खुशियां छा गई रे। मेरे बाबा की चिट्ठी आ गई रे।
जाकर मैं निशान चढ़ाऊंगी, और बाबा से अर्जी लगाऊंगी। तेरी सूरत यह दिल में समाए गई रे। मेरे बाबा की चिट्ठी आ गई रे।मेरे आंगन में खुशियां छा गई रे। मेरे बाबा की चिट्ठी आ गई रे।
अपने हाथों से भोग लगाऊंगी। खाटू वाले को खिला कर आऊंगी। मेरे मन में उमंग अब छा गई रे। मेरे बाबा की चिट्ठी आ गई रे।मेरे आंगन में खुशियां छा गई रे। मेरे बाबा की चिट्ठी आ गई रे।
पागल बनकर किशोरी आई है। और सुध बुध सारी गवाई है। भानु तनमन में मस्ती छा गई रे। मेरे बाबा की चिट्ठी आ गई रे।मेरे आंगन में खुशियां छा गई रे। मेरे बाबा की चिट्ठी आ गई रे।