मन के भीतर एक नाम की जपता हूँ मैं माला जी,मन के भीतर एक नाम की जपता हूँ मैं माला जी,खाटू श्याम खाटू श्याम बाबाजी,
खाटू श्याम खाटू श्याम बाबाजी।
परम थे ज्ञानी उनकी कहानी सुनलो मेरी जुबानी जी,परम थे ज्ञानी उनकी कहानी सुनलो मेरी जुबानी जी,खाटू श्याम खाटू श्याम बाबाजी,
खाटू श्याम खाटू श्याम बाबाजी।
तीन वाण के तुम धनि थे,तुमसा नहीं था बलसाली,स्वयं हरी भी थे घबराये,देखकर प्रदर्शन भार,
तीन बाण के तुम धनि थे,तुमसा नहीं था बलसाली,स्वयं हरी भी थे घबराये,
देखकर प्रदर्शन भार,
जो माँ अहिल्या को दिए वचन से,
आन पड़ी विपदा भारी,धर्म की खातिर कुरुक्षेत्र में,शीस की भेट चढ़ा डाली,
जिसके नाम में स्वयं हरी है,जिसका हैं बोल बाला जी,खाटू श्याम खाटू श्याम बाबाजी,
खाटू श्याम खाटू श्याम बाबाजी।
खाटू धाम में बसने वाले,तुमसा नहीं कोई प्यारा,
हारे हुवे के संग तुम रहते,दीन हीन का हो सहारा,श्रद्धा भाव से जो तुम्हें पूजे,
तन मन से करे जैकारा,मनोकामना पूर्ण हो करते,मिलता दुखो से छुटकारा,
कीर्ति जिसकी अम्बर गए,कण कण में जो बस्ता जी,खाटू श्याम खाटू श्याम बाबाजी,
खाटू श्याम खाटू श्याम बाबाजी,