Categories
विविध भजन

He lankesh sun sandesh me hu Bali Putra angad,हे लंकेश सुन संदेश मैं हु वाली पुत्र अंगद,

हे लंकेश सुन संदेश,मैं हु वाली पुत्र अंगद,

हे लंकेश सुन संदेश,मैं हु वाली पुत्र अंगद,
आया रामदूत बनकर,अपनी मतिभष्ट मतकर,
सीता को मुक्ति देकर,झुकजा रामशरण में आकर,हे लंकेश सुन संदेश,
होगा वही जो राम ने चाहा,
चिता मनन व्यथा कर स्वाहा,
मंगल भवन अमंगल हारी,
जय श्री राम बिष्णु अवतारी।



तू धनुष न तोड़ पाया,केबल राम ने तोड़ पाया,
सीता संग व्याह रचाया,फिर गुस्सा तुझको आया,सूर्पनखा के कहने पर,सीता को लिया तूने हर,सीता को मुक्ति दे कर,झुकजा रामशरण में आकर,लंकेश सुन संदेश,
होगा वही जो राम ने चाहा,
चिता मनन व्यथा कर स्वाहा,
मंगल भवन अमंगल हारी,
जय श्री राम बिष्णु अवतार।



तू रावण निर्दयी अभिमानी,तूने किसी की बात न मानी,सीता मैया है भवानी,तूने माया राम न जानी,तूम हो सबसे विद्या धर,
तू इतनी भी न हट कर,सीता को मुक्ति दे कर,
झुकजा रामशरण में आकर,

हे लंकेश सुन संदेश,मैं हु वाली पुत्र अंगद,
आया रामदूत बनकर,अपनी मतिभष्ट मतकर,

Leave a comment