तन का तनिक भरोसा नाहीं, काहे करत गुमाना रे।टेढ़ चले मरोड़ मूंछे, विषय याहि लिपटाना रे।
ठोकर लगे चेतकर चलना,कर जान प्रान पियारा रे। मेरा मेरा करते डोले,माया देख लुभाना रे। तन का तनिक भरोसा नाहीं, काहे करत गुमाना रे।टेढ़ चले मरोड़ मूंछे, विषय याहि लिपटाना रे।
या बस्ती में रहना नाहीं, साचा धर उठ जाना।
मीर फकीर और जोगी, रहा ना राजा रानी रे ।तन का तनिक भरोसा नाहीं, काहे करत गुमाना रे।टेढ़ चले मरोड़ मूंछे, विषय याहि लिपटाना रे।
पर तक तक मारे काल, अचानक बाना रे।
काम क्रोध मद लोभ छोड़कर, शरध धनी के आना रे।तन का तनिक भरोसा नाहीं, काहे करत गुमाना रे।टेढ़ चले मरोड़ मूंछे, विषय याहि लिपटाना रे।
कहत कबीर सुनो भाई सन्तो
बिसरि नाम तिरलोकहु नहीं ठिकाना रे। तन का तनिक भरोसा नाहीं, काहे करत गुमाना रे।टेढ़ चले मरोड़ मूंछे, विषय याहि लिपटाना रे।