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विविध भजन

Jugaliya re cham ki,जिसमें बोलै सै रमता रे राम जुगलिया रे चाम की।

जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।

जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।


चाम ही की गाय है रे, चाम का ज्वारा।
चाम नीचे चाम चुंघे, चाम चूंगावँन हारा।।जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।



चाम ही कि लाव है रे, चाम का लवारा।
चाम ही नै चाम खींचे, चाम खिचावन हारा।।जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।



चाम ही की धृतरी रे चाम का आकाशा।
चाम ही के नोलख तारे, चाम का प्रकाशा।।जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।




कह कबीर सुनो भई साधो, कौन चाम से न्यारा।
जो कोई होए चाम से न्यारा, वोहे गुरु हमारा।।जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।जिसमें बोलै सै रमता रे राम, जुगलिया रे चाम की।

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