तर्ज, एक परदेसी मेरा दिल ले गया
एक दो की लस्सिया ना मुझको पिला। अरे भर भर लोटा गोरा भांग ले आ।
कब तक घोटू भोले तेरी भंगिया। जाकर किसी दूसरी गोरा को ले आ।एक दो की लस्सिया ना मुझको पिला। अरे भर भर लोटा गोरा भांग ले आ।
यह जो तेरी भूत प्रेत कि सेना। इनसे क्या भोले तेरी भांग घुटे ना। अरे जब तक गोरा तेरा हाथ लगे ना। तब तक भंग का रंग चढ़े ना। पकड़ ए तेरी सिलवटिया।जाकर किसी दूसरी गोरा को ले आ।एक दो की लस्सिया ना मुझको पिला। अरे भर भर लोटा गोरा भांग ले आ।
सुन ले ओ गणपत की महतारी। भांग तो घोटनी पड़ेगी हमारी। भंगी है सौतन बनी रे पिया। जाकर किसी दूसरी गोरा को ले आ।एक दो की लस्सिया ना मुझको पिला। अरे भर भर लोटा गोरा भांग ले आ।
सब छोडू पर भांग न छोडू, छप्पन भोग को मारो ना मस्का। भांग को बडो रे निरालो रसिया।जाकर किसी दूसरी गोरा को ले आ।एक दो की लस्सिया ना मुझको पिला। अरे भर भर लोटा गोरा भांग ले आ।