जय श्याम जय श्याम जय जय श्याम।
जिसे दुनिया ने शीश का दानी कहा मैं बात उन्ही की सुनाता हूं।मैं श्याम प्रभु का प्रेमी हूँ प्रभु श्याम की कथा सुनाता हूँ।
माँ मोरवी के यहाँ जनम लिया माँ दुर्गा से शिक्षा पाई है।तीन बाण धारण करके युद्ध लड़ने की इच्छा जताई है।सारी दुनिया जिसे योद्धा कहती मैं बात उन्ही की सुनाता हूं ।
मैं श्याम प्रभु का प्रेमी हूँ प्रभु श्याम की कथा सुनाता हूँ।जय श्याम जय श्याम जय जय श्याम।
माँ के वचनों का पालन कर महादानी तुम कहलाते हो। हारे का सहारा भी आकर के भक्तों की बिगड़ी बनाते हो। सज कर बैठे हैं श्याम जहाँ उस खाटू में हर दम जाता मैं।मैं श्याम प्रभु का प्रेमी हूँ प्रभु श्याम की कथा सुनाता हूं।
जय श्याम जय श्याम जय जय श्याम।
इतने बड़े दानी कृष्ण को भी यहाँ शीश दान में चढ़ाते हैं। अमृत का पान कराये कृष्ण कलयुग में पूजे जाते हैं। जिस मिट्टी में अवतरण लिया उस मिटटी को माथे लगाता हूँ। मैं श्याम प्रभु का प्रेमी हूँ प्रभु श्याम की कथा सुनाता हूं।जय श्याम जय श्याम जय जय श्याम।