हे कृष्ण कर्ताधर्ता आप दोष औरा पे लावे से।
5 साल का गुरु भगत था। उसने सारा जाने जगत था। अरे तने घर से दिया कढ़वाय दोष मौसी पे लावे से।हे कृष्ण कर्ताधर्ता आप दोष औरा पे लावे से।
हिरणाकुश तेरे भगत बताया। पिता बेटे में बैर कराया। अरे होली में दिया बिठाए दोस् बुआ पर लावे से।हे कृष्ण कर्ताधर्ता आप दोष औरा पे लावे से।
हरिश्चंद्र आया तेरे द्वारे। नारी जन कोई संत पुकारे। अरे तने छूटा दिया घर बार दोस् बचना के लावे से।हे कृष्ण कर्ताधर्ता आप दोष औरा पे लावे से।
गोपीचंद तेरे चौक ते आया। खुद माता के मुंह ते कवाया। अरे जब रानी देवे गाल दोस सासु ते लावे से।हे कृष्ण कर्ताधर्ता आप दोष औरा पे लावे से।
महाभारत की करा लड़ाई, सारे कुटुंब की चाल खपाई। अरे मेरे घर का कर दिया नास दोस अब मेरे ते लाव से।हे कृष्ण कर्ताधर्ता आप दोष औरा पे लावे से।
अर्जुन की रे सुनी बात हरि ने। तने सुनाऊं खरी खरी में। भूलया नर ने राह बताऊं।। सबकी बिगड़ी तुरंत बनाऊं। रे मैं तो हरदम रहता पास कोई नर लेता नाम मेरा।
पाप धर्म की रे करो कमाई। दान करो रे फिर मारो बढ़ाई। अरे मैं तो यूं कांटे पर तोल धर्म का कांटा मेरा से।
मेरा भगत जब मने पुकारे। उस पर संकट भारया आवे। अरे मैं ले लूं तुरंत संभाल भगत दुख पावे ना मेरा ।
पाप धर्म का रे खाता नियारा। सारा लिखूं सु न्यारा न्यारा । अरे मैं तो सबसे बड़ा मुनीम के हरदम चाले कलम मेरी।