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विविध भजन

Pag re bandh ne unda re latke,पग रे बांध ने उन्दा रे लटके ,

पग रे बांध ने उन्दा रे लटके ,

पग रे बांध ने उन्दा रे लटके ,
पछे यु काही रामजी मिलता रे।
कायानगर रा रंग महल में ,
नौबत नगाड़ा बजता रे।
हाथ जोड़ मगन में रहता ,
सांवरियो सन्मुख रहता रे। ।
काया नगर रा रंग महल में ,
नौबत नगाड़ा बजता रे।



नकली साधु रो वेष पेर ने ,
घर घर अलख जगाता रे।
नहीं रे देवे तो माथा फोड़े ,
पछे यु कई रामजी मिलता रे।
पग रे बांध ने उन्दा रे लटके ,
पछे यु काही रामजी मिलता रे।



ब्रह्मा रे होय ने वेद है बांचे ,
खान्धे खड़िया रखता रे।
दूजा घरा री राय बतावे ,
पछे घर का क्यों मर जाता है।
पग रे बांध ने उन्दा रे लटके ,
पछे यु काही रामजी मिलता रे।

मुल्ला रे बन ने हाका रे मारे ,
पछे यु काही अल्ला मिलता रे।
कीड़ी रे पग में झांझर बाजे ,
वो ही रामजी सुनता रे।
पग रे बांध ने उन्दा रे लटके ,
पछे यु काही रामजी मिलता रे।

केवे कमाली कबीर सा री चेली ,
आवागमन क्यों रखता है।
काया नगर रा रंग महल में ,
नौबत नगाड़ा बजता रे।
पग रे बांध ने उन्दा रे लटके ,
पछे यु काही रामजी मिलता रे।

पग रे बांध ने उन्दा रे लटके ,
पछे यु काही रामजी मिलता रे।
कायानगर रा रंग महल में ,
नौबत नगाड़ा बजता रे।
हाथ जोड़ मगन में रहता ,
सांवरियो सन्मुख रहता रे। ।
काया नगर रा रंग महल में ,
नौबत नगाड़ा बजता रे।

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