मन से हंस बने मत कागा, संगत छोड़ दे खोटा की, भवसागर से तिरणो वे तो, बाह पकड़ ले मोटा की ।।
कच्चा गुरु का चेला काबरा, फौज बणी है नकटा की, चिल्ला चाटी जुगत बनावे, जुगत बनावे दो रोटा की, भवसागर से तिरणो वे तो, बाह पकड़ ले मोटा की ।।मन से हंस बने मत कागा, संगत छोड़ दे खोटा की,
हाकम होय हकीकत पूछे, अमि सूख जावे होटा की, जिण दिन हाथ पड़े भाया को, मार पड़ेला बूटा की, भवसागर से तिरणो वे तो, बाह पकड़ ले मोटा की ।।भवसागर से तिरणो वे तो, बाह पकड़ ले मोटा की ।।मन से हंस बने मत कागा, संगत छोड़ दे खोटा की,
अली गली में फिरे भटकता, पगड़ी बांधे आटा की, एक दिन मार पड़े जमड़ा की, मार पड़ेला होटा की, भवसागर से तिरणो वे तो, बाह पकड़ ले मोटा की ।।मन से हंस बने मत कागा, संगत छोड़ दे खोटा की,
मारो मन तो मान गया है, संगत छोड़ दी खोटा की, साहेब कबीर सेन बताइए, बांह पकड़ ली शब्दा की, भवसागर से तिरणो वे तो, बाह पकड़ ले मोटा की ।।मन से हंस बने मत कागा, संगत छोड़ दे खोटा की,
मन से हंस बने मत कागा, संगत छोड़ दे खोटा की, भवसागर से तिरणो वे तो, बाह पकड़ ले मोटा की ।।