कुंजन कुंजन यमुना तट पे,ढूंढूं रे सांवरिया।मीरा को प्रभु दर्शन दे दो,मनमोहन सांवरिया।कुंजन कुंजन यमुना तट पे,ढूंढूं रे सांवरिया।
तेरे बिन ना आवे निंदिया हमको मोहन रात में। बरस रही नैनो से झड़ियां जैसे कि बरसात में। अब क्या मोहन भूल गए हो मीरा की नगरिया।मीरा को प्रभु दर्शन दे दो,मनमोहन सांवरिया।कुंजन कुंजन यमुना तट पे,ढूंढूं रे सांवरिया।
छोड़कर कंचन महल तुम्हारे जोगन बन कर आऊंगी। संतन के संग करूंगी कीर्तन में करताल बजाऊंगी। मन मंदिर में मोहिनी मूरत बस गई रे सांवरिया। मीरा को प्रभु दर्शन दे दो,मनमोहन सांवरिया।कुंजन कुंजन यमुना तट पे,ढूंढूं रे सांवरिया।
लोग कहे मीरा भई बावली लोक लाज बिसराऊंगी। लट चिपकाऊं भस्म रमाऊं घर घर अलख जगाऊंगी। अपने रंग में रंग दे मोहन मीरा की चुनरिया।मीरा को प्रभु दर्शन दे दो,मनमोहन सांवरिया।कुंजन कुंजन यमुना तट पे,ढूंढूं रे सांवरिया।
सास ससुर की कहीं ना मानू घुंघट मुंह ना छुपाऊंगी। वृंदावन की कुंज गली में अपनी कुटी बनाऊंगी। भक्तों रूप में दर्शन दे दो डालो एक नजरिया। मीरा को प्रभु दर्शन दे दो,मनमोहन सांवरिया।कुंजन कुंजन यमुना तट पे,ढूंढूं रे सांवरिया।