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विविध भजन

Jagat me sab matlab ke yaar,जगत में सब मतलब के यार,

जगत में सब मतलब के यार,

जगत में सब मतलब के यार,
जिसके पास रहे धन दौलत उसके मित्र हजार,
जगत में सब मतलब के यार।



कोई किसी का नहीं जगत में,
यह वेदों का सार जगत में,
अंत समय में साथ ना देंगे कोठी बंगला कार,
जगत में सब मतलब के यार।



चार दिनों के खातिर हमको,
जीवन मिला उधार जगत में,
लूटपाट कर जोड़ रहे सब माया अपरंपार,
जगत में सब मतलब के यार।



माता पिता बहन और भाई,
करते दुर्व्यवहार जगत में,
स्वार्थ सिद्धि में लगा हुआ है यह सारा संसार,
जगत में सब मतलब के यार।



पाप पुण्य में नहीं कोई भी,
होता साझीदार जगत में,
अंत समय में रूठ ना जाए अपना पालनहार,
जगत में सब मतलब के यार।

जगत में सब मतलब के यार,
जिसके पास रहे धन दौलत उसके मित्र हजार,
जगत में सब मतलब के यार।

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