युगलवर, नैन नींद रहि छाय।युगलवर, नैन नींद रहि छाय।युगलवर, नैन नींद रहि छाय।युगलवर, नैन नींद रहि छाय।
ललिता कह चलि महल सोउ दोउ, सोवन बेला आय।मणिन अलंकृत कनक पलँग भल, फूलन सेज सजाय।युगलवर, नैन नींद रहि छाय।युगलवर, नैन नींद रहि छाय।
तापरकिय छिरकाव सुगंधित, जो दोउन मन भाय । पुनि तापर पौढ़े दोउ, सखियन, शयन आरती गाय ।युगलवर, नैन नींद रहि छाय।युगलवर, नैन नींद रहि छाय।
दोउ उर धरि दोउ कर दोउ सोवत, लखि – लखि सखि हरषाय । करि संकेत ‘कृपालु’ सखिन कह, सोवहु अब सब जाय ॥युगलवर, नैन नींद रहि छाय।युगलवर, नैन नींद रहि छाय।