मेरे हृदय में अलमारी जिसमे बैठे कृष्ण मुरारी, मैंने कभी ना खोल के देखी जिसमे बैठे कृष्ण मुरारी..
मैं तो गलियों गलियों घूमी, कभी कीर्तन में ना बैठी ।जिसमे बैठे कृष्ण मुरारी,
मेरे हृदय में अलमारी जिसमे बैठे कृष्ण मुरारी.
मैंने पूरी खाई हलवा खाया, कभी मथुरा के पेडे ना खाए जिसको खाए कृष्ण मुरारी, मेरे हृदय में अलमारी जिसमे बैठे कृष्ण मुरारी …….
मैंने दूध पिया और मलाई खाई, कभी अमृत ना पीकर देखा जिसको पिए कृष्ण मुरारी, मेरे हृदय में अलमारी जिसमे बैठे कृष्ण मुरारी …….
मैं गंगा यमुना नहाई,
कभी त्रिवेणी ना नहाई जिसके नहाए कृष्ण मुरारी, मेरे हृदय में अलमारी जिसमे बैठे कृष्ण मुरारी…….