तर्ज, गोरी है कलाइयां
मन की मपा ले पिता की तरह संभाले। कदम कदम पर मेरा सांवरा। सुख में संवरता दुखों में ध्यान है धरता,कदम कदम पर मेरा सांवरा।मन की मपा ले पिता की तरह संभाले। कदम कदम पर मेरा सांवरा।
प्रेमी निकलता है जब अपने घर से। ओझल ना होने देता अपनी नजर से । त्रसितों के कांटे सभी चुन लेता है। सदा प्रेमियों की अपनी सुन लेता है। संकट टाले भवर से नाव निकाले कदम कदम पर मेरा सांवरा।
मन की मपा ले पिता की तरह संभाले। कदम कदम पर मेरा सांवरा। सुख में संवरता दुखों में ध्यान है धरता,कदम कदम पर मेरा सांवरा।मन की मपा ले पिता की तरह संभाले। कदम कदम पर मेरा सांवरा।
समझता है केवल कान्हा प्रेम की भाषा। सच्चे हृदय के भावों, का श्याम प्यासा। मांगता नहीं यह दौलत महलों अटारी। देखता है मन की कैसी भावना तुम्हारी। हर ले अंधेरा नसीब जगा दे तेरा।कदम कदम पर मेरा सांवरा।
मन की मपा ले पिता की तरह संभाले। कदम कदम पर मेरा सांवरा। सुख में संवरता दुखों में ध्यान है धरता,कदम कदम पर मेरा सांवरा।मन की मपा ले पिता की तरह संभाले। कदम कदम पर मेरा सांवरा।
दातार ऐसा नहीं देखा है जमाने में। खुश हो रहा है केवल आंसू बहाने में। एकता ने देखा है बस एक ऐसा द्वारा। जहां मिल रहा है हारे लोगों को सहारा। बाहों में भर ले पार भवसागर कर दे, कदम कदम पर मेरा सांवरा।
मन की मपा ले पिता की तरह संभाले। कदम कदम पर मेरा सांवरा। सुख में संवरता दुखों में ध्यान है धरता,कदम कदम पर मेरा सांवरा।मन की मपा ले पिता की तरह संभाले। कदम कदम पर मेरा सांवरा।