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रानीसती दादी भजन लीरिक्स

Chadhyo hai mehandi ko rang bhawani thare hatha me,चढ्यो है मेहन्दी को रंग भवानी थारे हाथां में,dadi bhajan

चढ्यो है मेहन्दी को रंग, भवानी थारे हाथां में,

(तर्ज : होलिया में उड़े…)



चढ्यो है मेहन्दी को रंग, भवानी थारे हाथां में, रची है लाल सुरंग, भवानी थारे हाथां में ।। टेर ।



सात सुहागण घोल के ल्याई, दादीजी का हाथ रचाई, हिवड़े में भरके उमंग, भवानी थारे हाथां में ।। १ ।। चढ्यो है मेहन्दी को रंग, भवानी थारे हाथां में, रची है लाल सुरंग, भवानी थारे हाथां में ।।

ऐसो गरो रंग चढ़ाई, ना छूटे इब इब लाख छुड़ाई, देख के होवे सारा दंग, भवानी थारे हाथां में ।। २ ।।चढ्यो है मेहन्दी को रंग, भवानी थारे हाथां में, रची है लाल सुरंग, भवानी थारे हाथां में ।।

ज्यूँ मेंहन्दी थारे हाथ समाई, बैयां म्हारी करल्यों सुणाई, बेटा ने राखिज्यो थे संग, भवानी थारे हाथां में ।। ३ ।। चढ्यो है मेहन्दी को रंग, भवानी थारे हाथां में, रची है लाल सुरंग, भवानी थारे हाथां में ।।

भाव भरी मेंहन्दी माँ ल्यावाँ, ‘हर्ष’ कहवे म्हें यूँ ही रचावाँ, उठे है मन में तरंग, भवानी थारे हाथां में ।। चढ्यो है मेहन्दी को रंग, भवानी थारे हाथां में, रची है लाल सुरंग, भवानी थारे हाथां में ।।

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