तर्ज – म्हारो श्याम बसे खाटू माहि
कोई लाख करे कितना जतन रे, होनी सदा ही होवे, होनी बड़ी प्रबल है प्यारे, टाले ना टले, कोईं लाख करे कितना जतन रे।
भीलों ने झट लुटा, ओ सुनियो रे,
होनी का कहर तो एक दिन, अर्जुन पे जब टुटा, गांडीव के रहते उसको, गांडीव के रहते उसको, भीलों ने झट लुटा, होनी के आगे एक ना, किसी की चले, कोईं लाख करे कितना जतन रे, होनी सदा ही होवे, होनी बड़ी प्रबल है प्यारे, टाले ना टले,कोईं लाख करे कितना जतन रे
होनी के वश में होकर, कैकई ने हठ पकड़ी, रघुवर को वन में भेजा, मन ही मन वो अकड़ी, ओ सुनियो रे, रघुवर को वन में भेजा, मन ही मन वो अकड़ी, दशरथ को खोकर रानी, हाथों को मले, कोईं लाख करे कितना जतन रे, होनी सदा ही होवे, होनी बड़ी प्रबल है प्यारे, टाले ना टले, कोईं लाख करे कितना जतन रे।
होनी के कहर ने भक्तो, श्रवण को ना छोड़ा, आया था नीर भरन को, सरयू पे दम तोडा, ओ सुनियो रे, आया था नीर भरन को, सरयू पे दम तोडा, अंधे माँ बाप विरह की, आग में जले, कोईं लाख करे कितना जतन रे, होनी सदा ही होवे, होनी बड़ी प्रबल है प्यारे, टाले ना टले, कोईं लाख करे कितना जतन।
होनी से कौन बचा है, होनी जिस पर टूटे,
पांडव सब मूक खड़े थे,
कौरव अस्मत लुटे, ओ सुनियो रे,
पांडव सब मूक खड़े थे, कौरव अस्मत लुटे, ‘हर्ष’ कहे होनी तो होगी, टाले ना टले,
कोईं लाख करे कितना जतन रे, होनी सदा ही होवे, होनी बड़ी प्रबल है प्यारे, टाले ना टले, कोईं लाख करे कितना जतन रे।
कोई लाख करे कितना जतन रे, होनी सदा ही होवे, होनी बड़ी प्रबल है प्यारे, टाले ना टले, कोईं लाख करे कितना जतन रे।