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विविध भजन

Malik tere jaha me koi nahi hamara,मालिक तेरे जहां में,इतनी बड़े जहां में कोई नहीं हमारा,

मालिक तेरे जहां में,
इतनी बड़े जहां में,
कोई नहीं हमारा,

मालिक तेरे जहां में,
इतनी बड़े जहां में,
कोई नहीं हमारा,
कोई नहीं हमारा,
मालिक तेरे जहां में,
अब किस की द्वार जाऊं,
दुःख में किसे बुलाऊं,
सब कर गए किनारा,
कोई नहीं हमारा,
मालिक तेरे जहां में….



इस हाल में भी देखो,
ठुकरा रही है दुनिया,
हम पर बनी तो हम से,
कतरा रही है दुनिया,
हम पर बनी तो हम से,
कतरा रही है दुनिया,
ना आस ना दिलासा,
सब तो है इक तमाशा,
झूठा है हर सहारा,
कोई नहीं हमारा,
मालिक तेरे जहां में…..



सर पे था छाया,
मुझ से बिछड़ गए है,
उम्मीद के वो मोती,
आंसू में ढल गए है,
उम्मीद के वो मोती,
आंसू में ढल गए है,
क्या रात क्या सवेरा,
हाथो पहर अधेरा,
टूटा हर एक तारा,
कोई नहीं हमारा,
मालिक तेरे जहां में,
इतनी बड़े जहां में,
कोई नहीं हमारा,
कोई नहीं हमारा,
मालिक तेरे जहां…..

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