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विविध भजन

Shital kar man mera o mata shitle,शीतल कर मन मेरा, ओ माता शीतले

शीतल कर मन मेरा, ओ माता शीतले।।



तर्ज – सावन का महीना

काम क्रोध की ज्वाला, है चारों ओर जले,
शीतल कर मन मेरा, ओ माता शीतले।।



हाथ में झाड़ू लेकर, जग को बताया, गन्दगी का करना होगा, हर पल सफाया, सुचिता बिन ये जीवन, एक पल भी ना चले, शितल कर मन मेरा, ओ माता शीतले ।।

काम क्रोध की ज्वाला, है चारों ओर जले,
शीतल कर मन मेरा, ओ माता शीतले।।

सांचे ह्रदय से जिसने, जब भी पुकारा, दौड़ी दौड़ी आई हो तुम, दिया है सहारा, नाम तेरा लेते ही, सब संकट कष्ट टले,शितल कर मन मेरा, ओ माता शीतले ।।

काम क्रोध की ज्वाला, है चारों ओर जले,
शीतल कर मन मेरा, ओ माता शीतले।।

लाखो करोड़ो जन की, विपदा है टाली, तेरे दर पे आ के कोई, जाए ना खाली, सबकी अर्जी सुनती, जो कहना है कहले, शितल कर मन मेरा, ओ माता शीतले।।



काम क्रोध की ज्वाला, है चारों ओर जले, शीतल कर मन मेरा, ओ माता शीतले ।।

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