तर्ज,रंग मत डारे रे
होली खेलूंगी फागण में, मैं तो श्याम धणी के द्वार, होली खेलूंगी। संग में खेलेंगे आकर के, मेरे श्याम धणी दातार, होली खेलूंगी।
रंग रंगीलो फागुन आयो, खाटू में रंग बरसे रे। लाल गुलाबी हो गयो देखो, पुरो तोरण द्वार, होली खेलूंगी। होली खेलूगी फागन में, मैं तो श्याम धणी के द्वार, होली खेलूंगी।
चन्दन टिका रोली रंगोली, लेकर के सब आए है,।हो रही खाटू की गलियों में, रंगो की फुहार, होली खेलूंगी। होली खेलूगी फागन में, मैं तो श्याम धणी के द्वार, होली खेलूंगी।।
फागुन मास में श्याम सलोना, सजधज करके आता है। मिलके मनाये भक्तो के संग, होली का त्यौहार, होली खेलूंगी। होली खेलूगी फागन में, मैं तो श्याम धणी के द्वार, होली खेलूंगी।
होली खेलूंगी फागण में, मैं तो श्याम धणी के द्वार, होली खेलूंगी। संग में खेलेंगे आकर के, मेरे श्याम धणी दातार, होली खेलूंगी ।।