होली खेल ले पंछीड़ा लाल,
फागण का दन चार।।
काया नगर ब्रज मण्डल का ले,
गोप गोपिका लार रे।
ब्रह्म रूप कानूड़ो राधा,
जाण आत्मा नार, होली…
होली खेल ले पंछीड़ा लाल,
फागण का दन चार।।
गम का गेरया ढोल घुरावे,
चित चांक डपतार रे।
गुरां ग्यान की उड़े गुलालां,
अनहद की रणकार, होली…
होली खेल ले पंछीड़ा लाल,
फागण का दन चार।।
करम कड़ावा माही घोल ले,
सत संगत रंग डार रे।
परा प्रेम की भर पिचकारी,
डोलचियां फटकार, होली…
होली खेल ले पंछीड़ा लाल,
फागण का दन चार।।
चंद में सूर, सूर में चंदा,
सुरत सुखमणा सार रे।
कुमत होली में बाल,
सुमत मन प्रहलाद ने तार, होली…
होली खेल ले पंछीड़ा लाल,
फागण का दन चार।।
फागण का ये बाव छूूट्या्,
पाका पान डार रे।
चेत लागवा वाळो भैरया,
जाय जमारो हार,होली…
होली खेल ले पंछीड़ा लाल,
फागण का दन चार।।