ग्यारस चांदण की खाटू मं गूँजे, श्याम की जयजयकार।ग्यारस चांदण की,
भीड़ घणेरी पड़े द्वार प, मोटो सेठ लुटाव रे। शरणं पड़या भगतां क मारें, मोरछड़ी फटकार, ग्यारस चांदण की..
ग्यारस चांदण की खाटू मं गूँजे, श्याम की जयजयकार।ग्यारस चांदण की,
जगमग चमके श्याम की हेली, जूं सुरगां की आभा रे।
घुमर घाले भगत दीवानां, बाबे क दरबार, ग्यारस चांदण की…
ग्यारस चांदण की खाटू मं गूँजे, श्याम की जयजयकार।ग्यारस चांदण की,
दूर देश स भगत मोकला, श्याम क दरपे आवे रे। जात जड़ूला ल्यावें कोई, ओ स: को भरतार, ग्यारस चांदण की..
ग्यारस चांदण की खाटू मं गूँजे, श्याम की जयजयकार।ग्यारस चांदण की,
जादूगारो ऐसो है यो, बातड़ली जाणे मन की भव सागर सूं पार लगावे, ओ है लखदातार, ग्यारस चांदण की..
ग्यारस चांदण की खाटू मं गूँजे, श्याम की जयजयकार।ग्यारस चांदण की,
घेर घुमेरो पहरे बागो, निरखें लोग लुगाई जी “”मोनू” जावे भरण हाजरी, खाटू क दरबार, ग्यारस चांदण की….
ग्यारस चांदण की खाटू मं गूँजे, श्याम की जयजयकार।ग्यारस चांदण की,