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श्याम भजन लिरिक्स

Mharo Kun so hai tyohar Fagan se badh ke,म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के,shyam bhajan

म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के

म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।फागण से बढ़ के यो ग्यारस से बढ़ के।म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।

कढी और कचोड़ी म्हारो जीव ललचावे।मेवा और मिष्ठान म्हाने रास कोनी आवे।चूरमा के भोग पे जी लार टपके।म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।

म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।फागण से बढ़ के यो ग्यारस से बढ़ के।म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।

मंदिर माही बैठ्यों दिखे,खाटू माही घूमे। टाबरिया के साग बाबो नाचे और झूमे।काम बनावे बाबा म्हारा डट के।म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।

म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।फागण से बढ़ के यो ग्यारस से बढ़ के।म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।

टोलियां की टोली सागे भगतां की होली। माल लुटावे बाबा भर भर झोली। बाबा ने निहारु तो यो जियो भटके।म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।

म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।फागण से बढ़ के यो ग्यारस से बढ़ के।म्हारो कुन सो है त्योहार फागण से बढ़ के।

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