तर्ज- मैं तुलसी तेरे आंगन की।
मैं गुड़िया तेरे आँगन की, मैं गुड़िया बाबा, तेरे आँगन की, तुझसे जुडी है डोरी, मेरे मन की, मैं गुड़िया तेरे आंगन की।
तेरी कृपा से ऐसा सौभाग्य पाया, जो मुझको तेरे दर ले आया, तेरी कृपा से सारी खुशियां मिली, मैं गुड़िया तेरे आंगन की ।।
दरबार तेरा लागे प्यारा, बिसराया मैंने जग ये सारा, तुझसे कही सब सुख दुःख की, मैं गुड़िया तेरे आंगन की ।।
जबसे श्याम तुम्हे अपना बनाया, हर पल तुमने साथ निभाया, तुझसे बंधी तार साँसों की, मैं गुड़िया तेरे आंगन की ।।
एक दिन लूंगी मैं जग से विदाई, अर्जी पे मेरी श्याम करना सुनवाई, गुड़िया बनु मैं तेरी जन्मो की, मैं गुड़िया तेरे आंगन की ।।
मैं गुड़िया तेरे आँगन की, मैं गुड़िया बाबा, तेरे आँगन की, तुझसे जुडी है डोरी, मेरे मन की, मैं गुड़िया तेरे आंगन की।