तर्ज – गली में आज चाँद ।
कुण बाबा ने सजायो आज, यो लागे बनड़ो सो, थोड़ो बदल्यो है बाबा ने मिजाज, यो लागे बनडो सो, यो लागे बनडो सो।।
तन केसरिया बागो लीले असवार, गजब लगे। बाबा रा सिणगार, ठाठ अलबेला नया अंदाज, ठाठ अलबेला नया अंदाज, यो लागे बनडो सो,
यो लागे बनडो सो।।
कुण बाबा ने सजायो आज, यो लागे बनड़ो सो, थोड़ो बदल्यो है बाबा ने मिजाज, यो लागे बनडो सो, यो लागे बनडो सो।।
बैठ्यो सिंहासन हौले हौले मुस्कावे। बातां करूँ तो यो नजरे झुकावे। हुयो शर्मिलो नखरेबाज, हुयो शर्मिलो नखरेबाज, यो लागे बनडो सो, यो लागे बनडो सो।।
कुण बाबा ने सजायो आज, यो लागे बनड़ो सो, थोड़ो बदल्यो है बाबा ने मिजाज, यो लागे बनडो सो, यो लागे बनडो सो।।
फूलां सु कुंदन इसो जो सजायो। इत्तो सोणो बाबो कदी नज़र ना आयो। पूछ्यो टाबर बता द्यो म्हने राज, पूछ्यो टाबर बता द्यो म्हने राज, यो लागे बनडो सो, यो लागे बनडो सो।।
कुण बाबा ने सजायो आज, यो लागे बनड़ो सो, थोड़ो बदल्यो है बाबा ने मिजाज, यो लागे बनडो सो, यो लागे बनडो सो।।