जिनकी कृपा से जिंदगी, कटती है शान से, उनको रिझा रही हूँ मैं, सरगम की तान से ।।
महिमा मैं जब से गा रही, वाणी के रूप में, करुणा की छाँव मिल रही, संकट की धूप में, कश्ती भवर से निकली है, हर एक तूफ़ान से, उनको रिझा रही हूँ मैं, सरगम की तान से,
जिनकी कृपा से ज़िन्दगी, कटती है शान से ।।उनको रिझा रही हूँ मैं, सरगम की तान से ।।
है कौन जिसपे श्याम का, जादू नहीं चला,
जादू से इसके कोई, कैसे बचे भला। मुस्कान इसकी भक्तों को, मारे है जान से,
मुस्कान इसकी भक्तों को, मारे है जान से, उनको रिझा रही हूँ मैं, सरगम की तान से, जिनकी कृपा से ज़िन्दगी, कटती है शान से ।।
इनकी कृपा के प्रेमियों, वाह वाह क्या बात है, ऊँगली अगर बढ़ाओ तो, पकडे ये हाथ है,
गाता सकल जगत यही, दिल से जुबान से, उनको रिझा रही हूँ मैं, सरगम की तान से, जिनकी कृपा से ज़िन्दगी, कटती है शान से।।
जिनकी कृपा से जिंदगी, कटती है शान से, उनको रिझा रही हूँ मैं, सरगम की तान से ।।