तर्ज लाल लंगोटो हाथ में सोटो।
झूला तो झूले रानी राधिका,
झूला तो झूले रानी राधिका,
झुलावे नंदकुमार,
महीना आया सावन का,
झुला तो झूले रानी राधिका,
झुलावे नंदकुमार,
महीना आया सावन का।।
घिर घिर आई घटा कारी रे,
आज बरसे रस की धार,
महीना आया सावन का,
झुला तो झूले रानी राधिका,
झुलावे नंदकुमार,
महीना आया सावन का।।
तीज हरियाली सखी आ गई,
छाई कुंजन में मस्त बहार,
महीना आया सावन का,
झुला तो झूले रानी राधिका,
झुलावे नंदकुमार,
महीना आया सावन का।।
ओढ़ी राधा ने हरी चुनरी,
कर आई वह सोलह श्रृंगार,
महीना आया सावन का,
झुला तो झूले रानी राधिका,
झुलावे नंदकुमार,
महीना आया सावन का।।
रेशम डोर चंदन की पटरी,
झूला पड़यो कदंब की डाल,
महीना आया सावन का,
झुला तो झूले रानी राधिका,
झुलावे नंदकुमार,
महीना आया सावन का।।
झूले हिंडोरा प्रिया लाल जी,
गावे चित्र विचित्र मल्हार,
महीना आया सावन का,
झुला तो झूले रानी राधिका,
झुलावे नंदकुमार,
महीना आया सावन का।।
झूला तो झूले रानी राधिका,
झूला तो झूले रानी राधिका,
झुलावे नंदकुमार,
महीना आया सावन का,
झुला तो झूले रानी राधिका,
झुलावे नंदकुमार,
महीना आया सावन का।।