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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Mharo kharcha Malik pure me waka naam par reta,म्हारो खर्चा मालिक पूरे,मैं वाका नाम पर रेता,Nirgun bhajan

म्हारो खर्चा मालिक पूरे,
मैं वाका नाम पर रेता,

म्हारो खर्चा मालिक पूरे,
मैं वाका नाम पर रेता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यो लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता।।

तीन गुणा का डिब्बा बणाया,
मन का इंजन जोता,
काम क्रोध रा फुकया कोयला,
अणि में चेतन सिटी देता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता।।

तीर्थवासी आया रेल में,
आवागमन में रेता,
होय निरंजन फिरा जगत में,
कोड़ी पास नही रखता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता।।

राता पिला सिग्नल बनाया,
सोहंग तार खिंचता,
अला अलद का लीना आसरा,
ऐसी लेंन जमता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता।।

निर्भय होकर आया जगत में,
दाम पास नही रखता,
माया की नही बांधा गाँठड़ी,
मैं तो वह वनियारा में रेता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता।।

अमरापुर से चिट्ठी उतरी,
हेला पाड कर देता,
गरीब गरीबी में बोले
उसको पास कर लेता
बाबूजी मेरा टिकिट क्यों लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता।।

म्हारो खर्चा मालिक पूरे,
मैं वाका नाम पर रेता,
बाबूजी मेरा टिकिट क्यो लेता,
मेरा टिकिट क्यो लेता।।

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