कान्हा तुम मथुरा में बरसाने खड़ी, गोकुलमें मिलेंगे दोनों जनी।
कान्हा तुम चंदन मैं पानी बनू। माथे पर मिलेंगे दोनों जने।
कान्हा तुम दीपक मैं बाती बनू। ज्योति में मिलेंगे दोनों जने।
कान्हा तुम चंदा में तारे बनू। रातों को मिलेंगे दोनों जने।
कान्हा तू मुरली और सुर में बनू। अधरों पर मिलेंगे दोनों जने।
कहां तुम मोती और में धागा बनू। माला में मिलेंगे दोनों जने।
कान्हा तुम वक्ता और मैं श्रोता बनू। भागवत में मिलेंगे दोनों जने।
कान्हा तुमने नैना मैं निंदिया बनू। सपनों में मिलेंगे दोनों जने।
कान्हा तुम सखा मैं सहेली बनू। भजनों में मिलेंगे दोनों जने।