तर्ज,सावन का महीना
जब जब भी मैं हारा तूने लिया है मुझको थाम,
क्या रिश्ता है तेरा मुझसे ओ बाबा श्याम
जब जब भी मैं हारा………………
ना नरसी शबरी मैं न ही मैं तो मीरा।
ना ही मैं सुदामा जैसा मित्र हूँ तेरा,
पर तूने बनाये बाबा मेरे बिगड़े हुए हर काम,
तुमने बनाये बाबा मेरे बिगड़े हुए हर काम,
क्या रिश्ता है तेरा मुझसे ओ बाबा श्याम।🌺🌺जब जब भी मैं हारा तूने लिया है मुझको थाम
क्या रिश्ता है तेरा मुझसे ओ बाबा श्याम
दुनिया की लाजे मुझको प्रीत पराई,
तुम ही पिता हो मेरे तुम्ही मेरे भाई,
जब भी विपदा आई मैंने लिया है तेरा नाम,
क्या रिश्ता है तेरा मुझसे ओ बाबा श्याम,🌺🌺जब जब भी मैं हारा तूने लिया है मुझको थाम
क्या रिश्ता है तेरा मुझसे ओ बाबा श्याम
हितु को बाबा एक तेरा सहारा,
तेरे नाम से पहचाने संसार सारा,
मैं ना चूका पाऊंगा तेरे एहसानो का दाम,,
क्या रिश्ता है तेरा मुझसे ओ बाबा श्याम।🌺🌺जब जब भी मैं हारा तूने लिया है मुझको थाम
क्या रिश्ता है तेरा मुझसे ओ बाबा श्याम