तर्ज,तुझे सूरज कहूं या चंदा
ना गोरा है ना काला,ये मोहन मुरली वाला,
है सांवली सूरत इसकी,जिसने जादू कर डाला।।
जाने क्यों मन मोहन के,सब लोग है यूँ दीवाने,
इस भीड़ भरी दुनिया में,बस श्याम को अपना माने,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
हर बच्चा बूढ़ा इसकी,चाहत में है मतवाला,
है सांवली सूरत इसकी,जिसने जादू कर डाला।।ना गोरा है ना काला,ये मोहन मुरली वाला,
है सांवली सूरत इसकी,जिसने जादू कर डाला।।
कजरारी आँखे इसकी,नैनो में प्यार का सागर,
कोई बच के ना जा पाए,इसके मंदिर में आकर,
इसके तिरछे नैनो का,हर सेवक है मतवाला,
है सांवली सूरत इसकी,जिसने जादू कर डाला।।ना गोरा है ना काला,ये मोहन मुरली वाला,
है सांवली सूरत इसकी,जिसने जादू कर डाला।।
नखराली इसकी अदाएं,चेहरे पे भोलापन है,
होंठों पे प्यारी बंसी,जिसमे एक प्रीत की धुन है,
जब बंशी धुन लहराए,हर कोई भी हो मतवाला,
है सांवली सूरत इसकी,जिसने जादू कर डाला।।ना गोरा है ना काला,ये मोहन मुरली वाला,
है सांवली सूरत इसकी,जिसने जादू कर डाला।।