जल भरने देवकी जाए शीश पर घर गगरी।।
ऊली पार देवकी बैठी पल्ली पार यशोदा। वह तो आपस में बतलाए,शीश पर घर गगरी।।🌺🌺जल भरने देवकी जाए शीश पर घर गगरी।।
के दुःख है तेरे सास ससुर को,के पिया परदेस।बहना के तेरे पिया परदेस, शीश पर घर गगरी।।जल भरने देवकी जाए शीश पर घर गगरी।।
ना दुःख है मोहे सास ससुर को, ना पिया परदेस।बहना नाही मेरे पिया परदेस,शीश पर घर गगरी।।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺जल भरने देवकी जाए शीश पर घर गगरी।।
एक दुख है मोहे कंश वीरन को,होते ही दे मरवाई।बहना होते ही दे मरवाई,शीश पर घर गगरी।।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺जल भरने देवकी जाए शीश पर घर गगरी।।
अबकी लाल तुम्हारो होवे,दे गोकुल पहुंचाए।बहना दे गोकुल पहुंचाए,शीश पर घर गगरी।।जल भरने देवकी जाए शीश पर घर गगरी।।