श्रीवल्लभ मेरे मन बसे हो,ललना ओर न कछू सुहाय।।
नवजोबन व्रजभामिनी,नवसत साज सिंगार।
प्रीतम सों खेलन चलीहो,प्रेम मगन न संभार।
बहुविध साज संवारकें,अंजनली ने संग।
वसन विचित्र बनायकें,पहरत पिय अंग।
चंदन वंदन अरगजा,मुदित खिलावत फाग।
अबीर गुलाल उडावत,चहुंदिश छाय रह्यो अनुराग।।
केसर तिलक बनायकें,ओर कुसूमन के हार।
आरती करे मन मोदसों,लेत तंबोल उगार।।
वदन कमल ढिंग शोभहीं,केशसचिक्कन स्याम।
चितवन चंचल नयनकु,मोहत कोटिक काम।।
वेणु मुरज डफ बांसुरी,बाजत ताल मृदंग।
सरस धमार हि गावहीं,उपजत तान तरंग।।
नखसिख लों छबि पिय की ,कापें बरनीजाय।।
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Shree ballav mere man base ho lalna,श्रीवल्लभ मेरे मन बसे हो ललना,krishna bhajan
श्रीवल्लभ मेरे मन बसे हो,ललना