तर्ज,म्हारा सांवरिया गिरधारी,खीचड़ खाले रे बनवारी
म्हारा सांवरिया जी सेठ, जाने कहां हो गयो लेट,क्यों नी आयो रे।हो क्यों नी आयो रे।
थारे ही भरोसे मैं तो, आयो म्हारा नाथ जी। कोडी कोनी म्हारे पास,कईयां भरूं भात जी।जो तूं भात भरण नही आयो,म्हारी हांसी नगर उड़ायो।क्यों नी आयो रे। हो क्यों नी आयो रे।
रोवे थारी नानी बाई, और ना रुलाओ जी। जल्दी आओ सेठ सांवरिया, देर ना लगाओ जी। राखो रखो लाज म्हारी,तिरलोकी रा नाथ।क्यों नी आयो रे।हो क्यों नी आयो रे।
नरसी की विनती सुन आयो,तिरलोकी को नाथ जी।भक्त वृंद की तो राखी,वाने घणी लाज जी।नरसी नैना नीर बहायो,नरसी देख देख हरसायो।क्यों नी आयो रे।हो क्यों नी आयो रे।