तर्ज़, मिलती है जिंदगी में मुहब्बत
बूटी हरी के नाम की,सबको पीलाके पी।पीने की है तमन्ना,तो खुद को मिटा के पी।🌺🌺🌺🌺बूटी हरी के नाम की,सबको पीलाके पी।
ब्रह्मा ने चारों वेद की,पुस्तक बनाके पी।शंकर ने अपने शीश पर,गंगा चढ़ा के पी।🌺🌺🌺🌺बूटी हरी के नाम की,सबको पीलाके पी।
वृज गोपियों ने कृष्ण को,माखन खिला के पी। सबरी ने जूठे बेर अपने,प्रभु को खिला के पी।बूटी हरी के नाम की,सबको पीलाके पी।
पृथ्वी का भार से शेष ने, सिर पर उठा के पी। बाली ने चोट वाण की सीने पर खाके पी।🌺बूटी हरी के नाम की,सबको पीलाके पी।
अर्जुन ने ज्ञान गीता का अमृत बनाके पी। बजरंगबली ने रावण की लंका जलाके पी।🌺बूटी हरी के नाम की,सबको पीलाके पी।
बूटी हरी के नाम की,सबको पीलाके पी।पीने की है तमन्ना,तो खुद को मिटा के पी।