तर्ज,रेशमी सलवार कुर्ता जाली का
हुवे सुदामा त्यार द्वारका जाने को।चावल बांधे गांठ, कृष्ण के खाने को।
मेरा फट रहा पैंट पजामा, कैसे जाऊं बोले सुदामा।लगे शरमाने को।🌺🌺🌺🌺🌺🌺चावल बांधे गांठ, कृष्ण के खाने को।
हुवे सुदामा त्यार द्वारका जाने को।चावल बांधे गांठ, कृष्ण के खाने को।
मेरे फट रहे पैर बिबाई। मोसे पैदल चला ना जाई।लगे घबराने को।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺चावल बांधे गांठ, कृष्ण के खाने को।
हुवे सुदामा त्यार द्वारका जाने को।चावल बांधे गांठ, कृष्ण के खाने को।
एक पड़ गयो बाग दिखाई। जाकी निर्मल छाया पाई।लगे सुस्ताने को।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺चावल बांधे गांठ, कृष्ण के खाने को।
हुवे सुदामा त्यार द्वारका जाने को।चावल बांधे गांठ, कृष्ण के खाने को।
वो पहुंचे द्वारका माही।द्वारे से टेर लगाई।श्याम से मिलने को।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺चावल बांधे गांठ, कृष्ण के खाने को।
हुवे सुदामा त्यार द्वारका जाने को।चावल बांधे गांठ, कृष्ण के खाने को।