छुप छुप खड़े हो जरुर कोई बात है।
दही की मटकियाँ में डारो काहे हाथ है।
आँगन में छीके से, मटकी उतार के।
काहा चले कान्हा तुम, घर को बिगाड़ के।
गुजरी ने झपट पकड़ लीनो हाथ है,
दही की मटकियाँ में डारो काहे हाथ है।छुप छुप खड़े हो जरुर कोई बात है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
दही की मटकियाँ में डारो काहे हाथ है।
सुन री यशोदा मैया, तेरो यो कन्हैया। घेर आयो मटकी खोल आयो गईयाँ।🌺🌺🌺🌺🌺
घर को बिगाड़ दियो, कियो उत्पात है।
दही की मटकियाँ में, डारो काहे हाथ है।छुप छुप खड़े हो जरुर कोई बात है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺
दही की मटकियाँ में डारो काहे हाथ है।
सुन री यशोदा मइया, मेरो न कसूर है।
हाथ मेरो छोटे छोटे, छीको बडो दूर है।
घर में भी कन्हैया ने मचायो उतपात है,
दही की मटकियाँ में, डारो काहे हाथ है।छुप छुप खड़े हो जरुर कोई बात है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺
दही की मटकियाँ में डारो काहे हाथ है।
एसी एसी बात कान्हा,सुबहो और शाम करे,
निर्धन को धन देवे, तुतलाके बात करे।
माखन को चोर वाको, नाम दीनानाथ है।
दही की मटकियाँ में, डारो काहे हाथ है।छुप छुप खड़े हो जरुर कोई बात है।🌺🌺🌺🌺🌺🌺
दही की मटकियाँ में डारो काहे हाथ है।